जल जीवन का अमृत है। और फिर भी, राष्ट्र के कई क्षेत्रों में पानी की कमी तीव्र और चिरस्थायी है। स्थानीय समुदायों के सहयोग से जमीनी स्तर पर लागू हमारे कई कदम, पानी के सरंक्षण और भंडारण, स्थानीय कृषि उपज और ग्रामीण आय को बढ़ाने के द्वारा इस महत्वपूर्ण विषय को संबोधित कर रहे हैं।
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विद्यालयों और समुदायों में 4900 से अधिक शौचालयों का निर्माण और नवीनीकरण।
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तमिलनाडु में ₹10.96 करोड़ रुपये की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना में सहयोग किया, जिससे 4 लाख से अधिक लोगों वाले 56 वार्डों को लाभ हुआ।
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वित्त वर्ष 2020 में परिचालन स्थानों पर जैविक कचरे से 350 मीट्रिक टन खाद उत्पन्न की।
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श्री आदि शंकराचार्य के जन्मस्थान कलादि को 'स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थान ’के रूप में अंगीकृत किया।
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प्रोजेक्ट बूंद के माध्यम से 280 से अधिक गाँव जल-दुर्लभ से जल-सकारात्मक आवास में बदल गए।
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बीपीसीएल द्वारा सहयोग प्राप्त 'मदुरै मीनाक्षी मंदिर परियोजना' को भारत में 'बेस्ट स्वच्छ आइकॉनिक प्लेस' से सम्मानित किया गया है।
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बंगाल में इचामती नदी का 10 किलोमीटर लंबा इलाका साफ किया गया।
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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से 15 एमएलडी ट्रीटेड पानी का उत्पादन करने के लिए मै. आरसीएफ़ के साथ मिलकर काम किया गया, जिसमें बीपीसीएल की हिस्सेदारी 6 केएल है। इससे ताजा पानी के लिए नगरपालिका पर निर्भरता कम हो गई है।