धारणा मिथक (1) : एलएनजी खतरनाक है ! (नहीं !)
यह धारणा कि एलएनजी एक ऐसा विस्फोटक है जो फटने के लिए तत्पर रहता है तथा बार-बार घटित होता है। स्वतंत्र प्रयोगशालाओं द्वारा वर्षों के दौरान की गई नियंत्रित जांच-परख में सैकड़ों-हज़ारों गैलन एलएनजी छलकाया गया (इरादतन), वाष्प के बादल की आग ने कोई विस्फोट नहीं किया । सच तो यह है कि कुछ परीक्षणों में गैस के बादल का दहन भारी विस्फोटकों से प्रारंभ किया गया। डेटोनेशन की ताकत विस्फोटकों द्वारा किये विस्फोट से अधिक नहीं थी। निष्कर्ष: एक मुक्त वातावरण में एलएनजी या एलएनजी वाष्प के जलने से विस्फोट नहीं होगा।
प्राकृतिक गैस, जब वायु में मिश्रित की जाए तब मात्र 5 से 15% सांद्रण पर ही दहकती है। साथ ही इसकी लपटों की गति भी बहुत कम होती है। इन तथ्यों का अनुभव एलएनजी अग्नि विद्यालयों में कभी-कभी किये जाने वाले सरल प्रदर्शन द्वारा किया जा सकता है। एक बड़े गड्ढे (उदाहरण के लिए 20’ x 20’) को एलएनजी से भर दिया जाता है, वाष्प के बादल को हवा के साथ उड़ने दिया जाता है। वाष्प बादल को हल्की हवा के झोके से बहा कर किनारियों के निकट से मशाल से जलाया जाता है। दहन विशेष रूप से बादल का होता है। परिणामित लपट का आगे वाला भाग बहुत ही धीरे-धीरे गड्ढे की ओर वापस आ जाता है, यह गति सामान्य पैदल गति से थोड़ी ही ज़्यादा होती है। डेटोनेशन या अत्यधिक दबाव की उद्घोषित कमी उस पर एक स्थायी छाप छोड़ती है जिसने इसी साइज़ के गैसोलीन या प्रोपेन के कुंड की आग देखी हो।
धारणा (मिथक) 2: एलएनजी वाष्प बादल विशालकाय और खतरनाक है ! (नहीं !)
पारंपरिक तौर पर एलएनजी वाष्प प्रसरण संबंधी अध्ययनों को विशाल भंडारण टैंक (25,000,000 गैलन) की विनाशकारी गड़बड़ी या जहाज को अनलोड करने वाली लाइनों में प्रलयकारी गड़बड़ी (50,000 जीपीएम दस मिनट तक) जैसे ”सर्वाधिक विध्वंसकारी” मामलों पर केंद्रित किया गया है । दूसरी ओर, ये “डिजाइन स्पिल्स” (अनुमानित छालकाव के खतरे) वाहनों की एलएनजी से संभावित वाष्प बादल की घटना को तुच्छ करते हैं।
एलएनजी वाष्प बादल का साइज़ व विस्तार छलके एलएनजी के साइज़ तथा दर के बराबर होता है। कुछ सीमा तक प्रभावी क्षेत्र का आकार (साइज) तथा सतह, वायुमंडलीय परिस्थितियां और एलएनजी दबाव भी भूमिका निभाता है। छोटे बहाव ज़मीन की सतह के संपर्क में आते ही तेज़ी से वाष्पित हो जाते हैं। जैसे ही गैस/वायु मिश्रण 160°F से ऊपर जाता है, एलएनजी वाष्प वायु में बह जाती है । इसीलिए यह तेज़ी से वायुमंडल में विलीन हो जाता है। इसी प्रकार, घना वाष्प बादल बनाने वाले बड़े बहाव भी. जिस ज़मीन के ऊपर वे उड़ते हैं. उसकी गरमी से विलीन हो जाते हैं ।
धारणा 3: एलएनजी को ठंडा रखना कठिन (या महंगा) है! (नहीं!)
भंडारित एलएनजी उबलते पानी के सदृश है, मात्र 470° अधिक ठंडी। उबलते पानी का तापमान (212°F) ऊष्मा बढ़ाने पर भी नहीं बढ़ता, क्योंकि इसे वाष्पन (भाप पैदा करके) द्वारा ठंडा किया जाता है। इसी तरह एलएनजी भी स्थिर तापमान पर बनी रहेगी यदि दबाव स्थिर रखा जाए। इस प्रक्रिया को “ऑटो रेफ्रिजरेशन” कहते हैं। जब तक कि भाप (एलएनजी वाष्प उबल कर निकलती है) को टैंक में से निकलने दिया जाता है, तापमान स्थिर बना रहेगा।
यदि वाष्प बाहर नहीं निकलेगी, तब टैंक के भीतर का दबाव तथा तापमान बढ़ जाएगा। हालांकि, 100 psig पर भी एलएनजी का तापमान -200° तक ही रहेगा। यह दबाव ही है जिसे लादे गए ईंधन टैंकों में से 7 से 14 दिनों की आदर्श अवधि के बाद, मुक्त करने की ज़रूरत होती है।
धारणा 4: एलएनजी तकनीक नई है! (नहीं!)
प्राकृतिक गैस का द्रवीकरण इस शताब्दी के प्रारंभ से शुरू हुआ है। एलएनजी का उपयोग वाहनों में 60 के दशक के मध्य से होता आ रहा है। अब इस तकनीक पर विशिष्ट दृष्टि से आगे बढ़ कर जेनरिक दृष्टि डालें। एलएनजी एक क्रायोजेनिक (अत्यंत कम तापमान) द्रव है।
क्रायोजेनिक द्रव आज के जीवन का आम अंग है और हमारे चारों ओर कुछ समय से है। सभी क्रायोजेनिक द्रवों को भंडारित करने और संभालने की तकनीक समान है, इसका संबंध उत्पाद से नहीं है। किसी अस्पताल के पीछे जाइए आपको ऊर्ध्व खड़ा एक सफ़ेद टैंक मिलेगा जिसमें द्रव ऑक्सीजन (-296 ° F) होती है। इलेक्ट्रॉनिक फर्म, फ़ूड प्रोसेसर, तथा कई अन्य संचालनों में नियम से द्रव नाईट्रोजन (-320 ° F) भंडारित व उपयोग की जाती है।
रॉकेट इंजन ईंधन में द्रव हाइड्रोजन (-423 ° F) द्रव ऑक्सीजन के साथ इस्तेमाल की जाती है। द्रव हीलियम (-452 ° एफ) के निम्न तापमान एमआरआई मेडिकल डाइग्नोसिस उपकरण के संचालन में महत्वपूर्ण हैं। हाई वे पर ट्रकों को एलएनजी के साथ इन द्रवों को ले जाते प्रायः देखा जा सकता है।