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बीपीसीएल पाइप लाइन में है
मुंबई-मनमाड-बिजवासन पाइपलाइन बीपीसीएल ने साल 1998 में मुंबई से मनमाड तक 252 कि.मी. लंबी पाइपलाइन शुरू की थी। इस पाइपलाइन की डिजाइन क्षमता 6 एमएमटीपीए की है। इस पाइपलाइन का निर्माण मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य और आंध्र प्रदेश के हिस्सों की मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों को मुंबई रिफाइनरी से बाहर निकालने के लिए किया गया था। मध्य प्रदेश और भारत के उत्तरी हिस्से की मांग को पूरा करने के लिए मुंबई-मनमाड पाइपलाइन को साल 2003 में मांगलिया (इंदौर, मध्य प्रदेश) तक 358 कि.मी. तक विस्तारित किया गया था। इसके अलावा, उत्तरी क्षेत्र में बढ़ती बाजार मांग को पूरा करने के लिए, 2007 में पाइपलाइन को मांगलिया से पियाला (फरीदाबाद, हरियाणा) और बिजवासन (दिल्ली) तक बढ़ाया गया था, जिससे मांगलिया-पियाला सेक्शन 722 कि.मी. और पियाला-बिजवासन सेक्शन 57 कि.मी. तक बढ़ गया। मुंबई से बीजवासन तक पाइपलाइन की कुल लंबाई 1389 कि.मी. है और मुंबई रिफाइनरी से पेट्रोलियम उत्पादों को निकालने के लिए इसकी डिजाइन क्षमता 6 एमएमटीपीए है, जिसमें से 420 कि.मी. महाराष्ट्र से, 332 कि.मी. मध्य प्रदेश से, 447 कि.मी. राजस्थान से, तो 76 कि.मी. उत्तर प्रदेश से, 105 कि.मी. हरियाणा से और शेष 9 कि.मी. दिल्ली से होकर गुज़रती है। बीना-कोटा पाइपलाइन बीना रिफाइनरी से पेट्रोलियम उत्पादों को निकालने के लिए, 259 कि.मी. लंबी बीना-कोटा पाइपलाइन को साल 2011 में बिछाया और चालू किया गया था। यह पाइपलाइन कोटा में मुंबई-मनमाड-बिजवासन पाइपलाइन को जोड़ती है। 259 कि.मी. लंबी यह पाइपलाइन 153 कि.मी. मध्य प्रदेश से, तो बाकी की 106 कि.मी. राजस्थान से होकर गुजरती है। कोटा-जोबनेर पाइपलाइन बीपीसीएल के सांगानेर टर्मिनल के बंद होने के बाद, कोटा से जोबनेर (केजेपीएल) से 211 कि.मी. की पाइप लाइन बिछाई गई और उसे मार्च 2014 में चालू कर दिया गया। इस पाइपलाइन की पूरी लंबाई राजस्थान राज्य के तहत सीमित है। कोच्चि-कोयंबटूर-करूर पाइपलाइन साल 2002 में बीपीसीएल, पेट्रोनेट इंडिया लिमिटेड और वित्तीय संस्थानों द्वारा प्रवर्तित संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी पेट्रोनेट कोच्चि-कोयंबटूर-करूर लिमिटेड (पीसीसीके) द्वारा बीपीसीएल की कोच्चि रिफाइनरी से कोयंबटूर तक एक पाइपलाइन बिछाई गई थी। 293 कि.मी. लंबी इस पाइपलाइन को केरल और तमिलनाडु राज्य में पेट्रोलियम उत्पादों की मांगों को पूरा करने के लिए बिछाई गई थी, जिसमें से 155 कि.मी. लंबी पाइपलाइन केरल से, तो बाकी की 138 कि.मी. पाइपलाइन तमिलनाडु से होकर गुजरती है। मुंबई एटीएफ पाइपलाइन साल 2013 में बीपीसीएल ने मुंबई रिफाइनरी से सांताक्रुज़ / सहार हवाई अड्डे तक 15 कि.मी. लंबी अपनी पहली कैप्टिव एटीएफ पाइपलाइन को मुंबई रिफाइनरी से सांताक्रुज़ हवाई अड्डे तक एंटीएफ ट्रांसपोर्टेशन के लिए रखा। यह पूरी पाइपलाइन सिर्फ़ मुंबई शहर से होकर गुजरती है। कोच्चि एटीएफ पाइपलाइन साल 2013 में कोच्चि रिफाइनरी से कोच्चि हवाई अड्डे तक एटीएफ के ट्रांसपोर्टेशन के लिए 34 कि.मी. लंबी कैप्टिव एटीएफ पाइपलाइन बिछाई गई थी। यह पूरी पाइपलाइन सिर्फ़ कोच्चि शहर से होकर गुजरती है। मुंबई LOBS पाइपलाइन मुंबई रिफाइनरी से वाडी बंदर तक ल्यूब बेस ऑयल के ट्रांसपोर्टेशन के लिए 12 कि.मी. लंबी एक कैप्टिव पाइपलाइन बिछाई गई थी और इसने साल 2006 से काम करना शुरू कर दिया था। मुंबई उरण एलपीजी पाइपलाइन साल 2013 में बीपीसीएल ने मुंबई रिफाइनरी से बीपीसीएल के उरण एलपीजी टर्मिनल तक एलपीजी के ट्रांसपोर्टेशन के लिए मुंबई रिफाइनरी से 28 कि.मी. लंबी पहली कैप्टिव एलपीजी पाइपलाइन को शुरू किया था। तकनीकी रूप से अद्यतन होने और विश्व स्तरीय सुविधाओं के हिसाब से खरा उतरने के लिए, बीपीसीएल पाइपलाइनें अत्याधुनिक स्काडा और ऐप्स प्रणाली से लैस हैं जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बेंचमार्क अनुसार हैं। सुरक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के अपने प्रयास के तहत, जीपीएस आधारित निगरानी जिसमें प्रदर्शन आधारित भुगतान प्रणाली शामिल है उसे पेश किया गया और पाइपलाइन की संपूर्ण लंबाई तक उसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया था। स्थाई भविष्य बनाने की अपनी खोज में पाइपलाइनों ने एसवी स्टेशनों को सौर ऊर्जा पर संचालित करके "बीना-कोटा" और "कोटा - जोबनेर" पाइपलाइनों को "सौर संचालित पाइपलाइन" के रूप में भी बनाया गया।