डिस्टिलेशन इकाई कच्चे तेल में निहित स्ट्रेट रन उत्पादों का उत्पादन करती है। हालांकि, इनमें से कुछ वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मात्रा और गुणवत्ता में उपयुक्त नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कच्चे तेल में स्वाभाविक रूप से पाई जाने वाली गैसोलीन की गुणवत्ता कार इंजन की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है। साथ ही, मिडिल डिस्टिलेट्स की उच्च पैदावार की आवश्यकता होती है, जो केवल डिस्टिलेशन यूनिट नहीं प्रदान कर सकता है। अधिक मिडिल डिस्टिलेशन, बेहतर गैसोलीन और अधिक एलपीजी की इन आवश्यकताओं की परिणति, फ्ल्यूड कैटलिटिक क्रैकिंग यूनिट्स के विकास के रूप में हुई है।
इन यूनिट्स में, फीडस्टॉक को रिएक्टर से चार्ज किया जाता है जिसमें यह गर्म उत्प्रेरक के संपर्क में लाया जाता है, जो सिलिका-एल्यूमिना से बना होता है और जो कि इस फीडस्टॉक को वाष्पीकरण करने के साथ ही साथ क्रैकिंग के द्वारा इसका रासायनिक अपघटन करता है। क्रैक्ड वैपर फ्रैक्शनेटर में प्रेषित किए जाते हैं जहां वे गैस, गैसोलीन, साइकिल ऑयल और क्लैरीफाइड ऑयल में पृथक्कृत होते हैं।
क्रैकिंग रिएक्शन के दौरान, कुछ कार्बन कैटलिस्ट की सतह पर जमा हो जाता है, जिसे लगातार रिजनरेटर में ‘जलाने’ के द्वारा हटाया जाता है। वह स्ट्रिपर जो स्टीम के साथ स्ट्रिपिंग के द्वारा हाइड्रोकार्बन्स को आरोहित व पृथक्कृत करता है, रिजनरेटर के लोड को कम करता है। उसके बाद रिजनरेटेड कैटलिस्ट रिएक्टर पर वापस आता है और फिर से साइकिल शुरू करता है।
महीन पाउडर के रूप में कैटलिस्ट तीन मुख्य पात्रों के मध्य तरल के रूप में पहुंचता है। क्रैकिंग से उच्च गुणवता वाली गैसोलीन तथा अन्य बहुमूल्य उत्पाद उत्पन्न होते हैं। गैस को रिफाइनरी की भट्ठियों में जलाया जाता है। एलपीजी घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को बेच दी जाती है। साइकिल ऑयल डीज़ल में मिलाया जाता है और क्लैरीफाइड ऑयल को फीड प्रिपेरेशन यूनिट के शॉर्ट रेजिड्यू के साथ मिलाकर फर्नेंस ऑयल/एलएसएचएस का उत्पादन किया जाता है।